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ओलिम्पिक खेलों की जानकारी

OLYMPIC GAMES
ओलिम्पिक खेल 

"ओलिम्पिक को अगर खेलों का उत्सव कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । हर चार साल मे होने वाले इन खेलों का आयोजन खेल प्रेमियों के लिए बेहद उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक है ।" हर खिलाड़ी की तमन्ना होती की वह इस प्रतियोगिता मे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले । जहां 1996 के पहले ओलिम्पिक मे मात्र 14 देशों ने भाग लिया था वही टोक्यो ओलिम्पिक मे यह संख्या बढ़कर 206 हो गए है । 

ओलम्पिक खेलों में सबसे महत्वपूर्ण चीज जीतना नहीं बल्कि भाग लेना है। 

ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत मात्र 9 खेलों से की गई थी जो अब बढ़कर 28 हो गई है । टोक्यो में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों 2020  में कुल 33 खेल होंगे, जिसका अर्थ है कि रियो 2016 के पिछले ओलिम्पिक की तुलना में 5 और खेल का आयोजन होगा । इस बार ओलिम्पिक मे पाँच नए खेलों को जोड़ा जा रहा है । जो इस प्रकार हैं –

1- सर्फिंग – 
2-सपोर्ट क्लाइमिंग 
3- स्कैट बोर्ड 
4-कराटे 
5- बैस्बॉल / सॉफ्ट बॉल 

आधुनिक ओलिम्पिक की शुरुआत किसने की ? 

आधुनिक ओलिम्पिक की शुरुआत का श्रेय Pierre De Courbetin को जाता है। उन्होंने प्रारंभिक ग्रीक खेलों की भावना को फिर से जगाने के लिए,ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत की । 

ओलिम्पिक खेलों का आयोजन हर चार साल बाद ही क्यों होता है ? 
 
ओलंपिक खेलों की प्राचीiन उत्पत्ति का सम्मान करने के लिए हर चार साल पर ओलंपिक खेल आयोजित किए जाते हैं, जो पहले “ओलंपिया” में हर चार साल में आयोजित किए जाते थे। प्राचीन खेलों के संस्करणों के बीच चार साल के अंतराल को "ओलंपियाड" नाम दिया गया था, और इसका  इस्तेमाल समय की गणना के उद्देशय के लिए किया जाता था। उस वक्त समय की गणना वर्षों के बजाय ओलंपियाड मे की जाती थी।

ओलिम्पिक खेलों का उद्घाटन समारोह 

इन खेलों का भव्य रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति से होता है। जिसमे मेजबान देश अपनी सांस्कृतिक धरोहर का प्रस्तुतीकरण करता है । सर्वप्रथम ग्रीस देश के खिलाड़ियों की टीम स्टेडियम मे प्रवेश करती है। इसके बाद अन्य देशों की टीम स्टेडियम मे प्रवेश करती हैं। मेजबान देश की टीम सबसे आखिर मे स्टेडियम मे प्रवेश करती है। सभी देश की टीमों के प्रवेश के बाद ओलिम्पिक फ्लैग को फहराया जाता है और ओलिम्पिक ज्योति प्रज्वलित करके खेलों का आरंभ किया जाता है । यह ज्योति खेलों के आयोजन तक निरंतर जलती रहती है । 

ओलिम्पिक ज्योति (Flame)

प्रत्येक खेल से महीनों पहले, ओलंपिया में हेरा के मंदिर में एक समारोह में ओलंपिक लौ व ज्योति  प्राचीन ग्रीक रीति-रिवाजों के आधार पर प्रज्वलित की जाती है । इसके बाद एक रिले का आयोजन किया जाता है जिसमे खिलाड़ियों द्वारा प्रज्वलित मशाल को पूरे विश्व का भ्रमण करते हुए, ओपनिंग सेरमोनी के दिन मेजबान देश को सौंपा जाता है और ओलिम्पिक खेलों का शुभारंभ किया जाता है । 

हालांकि ओलिम्पिक ज्योति 1928 से ओलंपिक प्रतीक रही है,परंतु मशाल रिले को केवल 1936 के ग्रीष्मकालीन खेलों में पेश किया गया था । 

ओलिम्पिक खेल और उसके  प्रकार 

ओलिम्पिक खेलों का आयोजन ग्रीष्म, शीत, Paralympic गेम्स और यूथ गेम्स के रूप मे होता है। इन खेलों का आयोजन International Olympic Committee (I.O.C) के द्वारा किया जाता है जिसकी स्थापना सन 1894 मे हुई थी ।

ग्रीष्म ओलिम्पिक 

ग्रीष्म खेलों का आयोजन हर चार साल बाद किया जाता है । इन खेलों का पहले बार आयोजन ग्रीस की राजधानी एथेंस मे सन 1896 मे किया गया था । सर्वप्रथम ग्रीष्म ऋतु के खेलों की शुरुआत हुई थी जबकि शीतकालीन, Paralympic और युवा खेलों की शुरुआत बाद मे हुई।

एथलेटिक्स, तैराकी, तलवारबाजी और कलात्मक जिम्नास्टिक ही एकमात्र ग्रीष्मकालीन खेल हैं जो ओलंपिक कार्यक्रम से कभी अनुपस्थित नहीं रहे हैं।

ग्रेट ब्रिटेन  ही एक ऐसा देश है जिसने अब तक हर ओलिम्पिक गेम मे 1 गोल्ड मेडल तो जीत ही है । 

शीत ओलिम्पिक 

शीतकालीन ओलंपिक को बर्फ पर खेले जाने वाले  खेलों को दिखाने के लिए विकसित किया गया था जिनका ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के दौरान आयोजन लगभग असंभव था । पहले शीतकालीन ओलिम्पिक खेलों का आयोजन वर्ष 1924 मे कमोनिक्स फ़्रांस (Chamonix, France) मे हुआ था ।

पैरालंपिक (Paralympic )

Paralympic खेलों की शरुआत का श्रेय Sir Ludwing Guttman को जाता है । उनके द्वारा शुरू किए गए Stoke Mandeville Games आगे चलकर सन 1960 मे Paralympic Games कहलाये । इन खेलों का आयोजन शरारिक रूप से अक्षम सैनिकों और खिलाड़ियों के लिए किया गया था । इनका आयोजन ग्रीष्मकालीन खेलों के साथ हर चार साल बाद होता है । सन 1988 के सेओल ओलिम्पिक के बाद मेजबयान देशों ने Paralympic खेलों की मेजबानी भी शुरू कर दी । 

पहले ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक खेल 1960 मे रोम मे आयोजित किए गए थे। जबकि पहले शीतकालीन पैरालंपिक खेल 1976 में स्वीडन में आयोजित किए गए थे । यह पहला पैरालिंपिक था जिसमें विकलांग एथलीटों की कई श्रेणियां प्रतिस्पर्धा कर सकती थीं । 

"स्पिरिट इन मोशन" पैरालंपिक गेम्स का आदर्श वाक्य है। पैरालिंपिक के प्रतीक में तीन रंग होते हैं, लाल, नीला और हरा, जो कि राष्ट्रों के झंडों में सबसे व्यापक रूप से दर्शाए गए रंग हैं। हर रंग एक Agito के आकार में हैं । 
सियोल में 1988 के ग्रीष्मकालीन खेलों में पहली बार "पैरालिंपिक" शब्द आधिकारिक तौर पर अपनाया गया था।

यूथ ओलिम्पिक 

सन 2010 मे Youth Olympic  का आगाज हुआ। युवा ओलंपिक खेल (YOG) 14 से 18 वर्ष के बीच के एथलीटों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन है।  इन खेलों को शुरू करने का श्रेय Johnn Rosenzopf को जाता है जिसने इन खेलों की शुरुआत विकसित देशों मे युवा वर्ग मे खेलों के प्रति जागरूकता लाना और खेल गतिविधियों मे युवा वर्ग को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना था।

इन खेलों का प्रारूप भी बिल्कुल अंतर्राष्ट्रीय ओलिम्पिक खेलों की तरह ही है। परंतु इनका  स्वरूप ओलिम्पिक खेलों के मुकाबले थोड़ा छोटा होता है । ये खेल भी ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन दोनों समय पर हर चार साल के अंतराल पर आयोजित किए जाते है । ग्रीष्म और शीतकालीन खेलों की दूरी एक दूसरे से दो साल होती है ।

इन खेलों का ग्रीष्मकालीन आयोजन सन 2010 मे सिंगापूर मे हुआ था जबकि शीतकालीन खेलों का आयोजन सन 2012 मे Innsbruk Austria मे हुआ था । 

समर और विन्टर ओलिम्पिक की अलग- अलग वर्ष मे शुरुआत कब हुई ? 

सन 1992 तक समर ओलिंपिक्स और विन्टर ओलिंपिक्स एक साथ एक ही वर्ष मे आयोजित किए जाते थे , परंतु इसके बाद ओलिम्पिक कमिटी के निर्देशानुसार विन्टर ओलीमीपकस को अलग से हर चार साल के अंतराल पर करने का निर्णय लिया गया । इसके बाद विन्टर ओलीमिक सन 1994 मे आयोजित किए गए । इस प्रकार दोनों प्रतिस्पर्धा मे 2 साल का अंतर आ  गया । 

ओलिम्पिक ध्वज (Flag)

ओलिम्पिक ध्वज (फ्लैग) को बनने का श्रेय भी Baron de Coubertin को जाता है । ओलिम्पिक झंडे मे पाँच एक ही आकार के अलग-अलग रंग के गोले व रिंग हैं जो विश्व के पाँच महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह रिंग नीले, पीले, काले, हरे और लाल रंग के है जो सफेद जमीन सहित 6 रंगों से बना हैं। इस प्रकार इन 6 रंगों मे से किसी एक रंग का किसी भी देश के ध्वज मे होना, ओलिम्पिक खेलों के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप का उदघाटन करता है।

 पहली बार इस ध्वज को 1920 मे अन्तवर्प, बेल्जियम मे हुए समर ओलिंपिक्स मे फराया गया था । 

ओलिम्पिक ध्वज को लहराने के समय ओलिम्पिक ऐन्थम को बजाया जाता है जिसकी रचना Spyridon Samaras ने की थी ।  

ओलिम्पिक आदर्श वाक्य (Moto) क्या है ?

ओलंपिक आदर्श वाक्य, सिटीस, अल्टियस, फोर्टियस, एक लैटिन भाषा से लिए हुए शब्द हैं जिसका अर्थ है "तेज, उच्च, और मजबूत" । इसे 
Pierre De Courbetin द्वारा 1894 में प्रस्तावित किया गया था और 1924 के बाद से यह हर ओलिम्पिक का हिस्सा है । 

ओलिम्पिक पदक (मेडल) की शुरुआत कब हुई ?

पारंपरिक ओलिम्पिक गेम्स के समय मे विजेता को जैतून के पेड़  से बने ताज से सम्मानित किया जाता था । उस समय स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक का चलन नहीं था । आजकल ओलिम्पिक मे प्रथम, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक प्रदान किए जाते हैं। 

यह परंपरा अमेरिका के मिसौरी के सेंट लुइस में 1904 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक से शुरू हुई थी । 

1896 और 1900 के खेलों में प्रत्येक प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने वाले तीन प्रतियोगियों को पूर्वव्यापी रूप से अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक प्रदान किए गए।

ओलंपिक स्वर्ण पदक जो पूरी तरह से सोने से बना था, वह आखिरी बार 1912 में दिया गया था। इस पदक का वजन 24 ग्राम था i लेकिन आज ओलंपिक का स्वर्ण पदक 99.9% शुद्धता का 1.2% (6 ग्राम) और 92.5% शुद्धता का 98.8% (49 ग्राम) चांदी का है।

ओलिम्पिक मे आइकान की शुरुआत कब हुई ?

आधिकारिक तौर पर, 1964 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में पहली बार “आइकन”  पेश किए गए थे और उन्हें ओलंपिक डिजाइन कार्यक्रमों में जोड़ा गया था । उन्हें मसासा काटज़ुमी ने कलात्मक निर्देशक के रूप में और योशिरो यामाशिता ने ग्राफिक डिजाइनर के रूप में डिजाइन किया था। लेकिन अनौपचारिक तौर पर 1936 के बर्लिन खेलों और 1948 के लंदन खेलों मे इनका इस्तेमाल किया गया था । 

ओलिम्पिक शुभांकर की शुरुआत कब हुई ?

ओलिम्पिक शुभांकर (मैस्काट) मेजबान देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाली कोई भी आकृति हो सकती है। यह आकृति किसी मनुष्य व पशु की हो सकती है।  इनका शुभारंभ 1968 के विन्टर ओलिम्पिक खेलों से फ़्रांस मे हुया था, जिसका मुख्य उद्देश्य खेलों को एक नई पहचान देना था ।  इसके उपरांत 1980 के मॉसको  समर ओलिंपिक्स मे मीषा नाम के भालू शावक के शुभांकर ने खेलों को एक नए मुकाम पर पहुँचा दिया । 
ओलिम्पिक खेलों का टीवी प्रसारण कब शुरू हुआ ?

ओलिम्पिक खेलों का पहली बार टीवी पर प्रसारण 1936 के समर ओलिम्पिक मे हुआ था जिनका आयोजन बर्लिन मे किया गया था । लेकिन यह प्रसारण मात्र स्थानीय दर्शकों के लिए ही था। जबकि  1956 के विन्टर ओलिंपिक्स पहले अंतर्राष्ट्रीय टीवी पर प्रसारित होने वाले गेम्स कहलाये । 

ओलिम्पिक स्थगन और पुननिर्धारण 

World war की वजह से ओलिम्पिक गेम्स को तीन बार सन 1916, 1940 और फिर 1944 मे   रद्द करना पड़ा था । इसके बाद कोरोना की वजह से सन 2020 मे जापान मे होने वाले ओलिम्पिक खेलों के आयोजन के समय मे बदलाव करके उसे सन 2021 मे करना निश्चित किया गया । 

ओलिम्पिक खेलों के इतिहास मे ऐसा पहेली बार हुआ है जब खेलों को रद्द करने की जगह उन्हें किसी अन्य समय मे आयोजित करने की मंजूरी दी गई । 

ओलिम्पिक और भारत 

भारत ने अपनी स्वतंत्रता से पहले पहली बार सन 1900 के ओलिम्पिक मे हिस्सा लिया। आजादी से पहले भारत ने 1928-1956 के ओलिम्पिक मे हॉकी मे लगातार 6 बार स्वर्ण पदक हासिल किया । इसमे से एक स्वर्ण पदक भारत ने स्वतंत्र होने के पश्चात हासिल किया । 

परंतु स्वतंत्र रूप से भारत ने पहली बार 1948 के लंदन समर ओलिंपिक्स मे हिस्सा लिया। 1952 के समर ओलिंपिक्स मे भारत को पहली बार व्यक्तिगत श्रेणी के अंतर्गत के० डी० जाधव ने पहला कांस्य पदक दिलाया । ओलिम्पिक मे भारत ने सबसे अच्छा प्रदर्शन 2008 बीजिंग ओलिंपिक्स मे किया । 

ओलिम्पिक और जापान 

जापान ऐसा देश है जो ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी चार बार कर चुका है । सबसे पहले जापान मे वर्ष 1964 मे टोक्यो मे आयोजित किए गए थे । एक बार फिर जापान वर्ष 2020 के ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी कर रहा है । इस प्रकार जापान समर ओलिम्पिक की दूसरी बार मेजबानी  कर रहा है । समर ओलिम्पिक के अलावा जापान दो बार विन्टर ओलिम्पिक की भी मेजबानी कर चुका है पहली सन 1972 SAPPORO मे और दूसरी बार 1998  Nagano मे ।  

ओलिम्पिक 2020 मे जापान ने  मेडल बनने का एक नायाब तरीका खोज है । टोक्यो आयोजन समिति ने फरवरी 2017 में जापान पर्यावरण स्वच्छता केंद्र और एनटीटी डोकोमो के सहयोग से एक इलेक्ट्रॉनिक्स रीसाइक्लिंग योजना की स्थापना की, जिसमें सेल फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स के दान को पदक के लिए सामग्री के रूप में पुनः प्राप्त करने के लिए कहा गया। इस प्रकार इलेक्ट्रॉनिक सामानों की रीसाइक्लिंग से ओलिम्पिक पदकों का निर्माण किया गया है । 

इस बार समर ओलिम्पिक 2020 शुभांकर Miraitowa है यह शब्द जापानी शब्द "मिराई", जिसका अर्थ है भविष्य, और "तोवा", जिसका अर्थ है अनंत काल के मेल से बना है । यह शुभांकर नीले रंग  का है । 

इसके साथ-साथ परालीमपिक खेलों का शुभांकर Someity है यह शब्द लोकप्रिय चेरी ट्री किस्म "सोमियोशिनो और अंग्रेजी वाक्यांश "सो माइटी" से लिया गया है। यह शुभांकर पिंक रंग का है । 

 इस बार टोक्यो ओलिम्पिक मे 33 खेलों को शामिल किया गया है जिसमे कुल 206 देश हिस्सा लेंगे। 


ओलिम्पिक समापन समारोह 

ओलिम्पिक खेलों का समापन समारोह भी बहुत भव्य होता है । इस समारोह मे तीन ध्वजों को फहराया जाता है  पहलों ओलिम्पिक ध्वज, दूसरा मेजबान देश का ध्वज और तीसरा अगले ओलिम्पिक खेलों के मेजबान देश का ध्वज फहराया जाता  है और प्रज्वलित ज्योति को शमन कर ओलिम्पिक खेलों का समापन किया जाता है । इस समारोह मे सभी खिलाड़ी एक साथ स्टेडियम मे एकत्रित होते हैं ।
 
खेलों का महत्व 

खेलों का हमारे जीवन मे विशेष महत्व है। खेल हमें शारीरिक तौर पर तो ताकतवर बनाते ही है बल्कि यह हमारे मानसिक विकास मे भी सहायक होते हैं । खेलों से हमें समय की उपयोगिता का पता चलता है और हम अपने जीवन मे अनुशासन से रहना सीखते हैं । खेल हमारे शरीर मे फुर्ती का संचार करते हैं जिससे आलस पर विजय प्राप्त करना आसान हो जाता है । खेल हमें अपनी योग्यता का प्रदर्शन करने का मौका देते हैं । खेल हमें ख्याति और गौरव दोनों प्रदान करते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिससे हम पूरे विश्व में अपने देश का नाम रोशन कर सकते हैं। खेल जहां खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा का माध्यम है वहीं यह लोiगों के मनोरंजन का केंद्र बिन्दु भी हैं । दर्शकों की तालिया और प्रशंसा जहां खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाती है वही आर्थिक तौर पर भी खेल खिलाड़ियों के विकास मे सहायक हैं । 

देखा जाए तो ग्रीक देश ने अपनी पुरानी धरोहर को नए रूप मे ढालकर विश्व को खेलों की प्रतिस्पर्धा  के महाकुंभ से मिलाया और विश्व के लिए खेलों के महत्व को समझा और ओलिम्पिक जैसे भव्य खेलों  का आयोजन किया । 


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