गुल्लक जो प्रतीक है धन संचय का, जो सिखाता है कैसे छोटे-छोटे प्रयास बड़ी खुशियों को जन्म देते है। मिट्टी से बना ऐसा पात्र जो हमे जीवन के कुछ अनोखे पाठ पढ़ाता है। कुम्हार के द्वारा चाक पर चढ़कर आग मे तपकर तैयार होता है यह अनोखा पात्र, जिसे आज विभिन्न प्रकार के आकार और रंगों से सजाकर तैयार किया जाता है। गुल्लक एक ऐसा बैंक जिसमे आप एक छिद्र के माध्यम से रुपए- पैसे तो जमा कर सकते है परंतु समय से पहले बिना तोड़े निकल नहीं सकते। परंतु कभी-कभी उत्सुकता वश कुछ प्रयास किया जाता था, गुल्लक को बिना तोड़कर उस जमा को निकालने का । परंतु अपने बड़ों द्वारा समझाने पर हम छोड़ देते थे उस जिद्द को । तो यह है, गुल्लक की कहानी ।
बचपन मे दीपावली के त्योहार पर उपहार के रूप मे दिलाया जाने वाला खिलौना है गुल्लक। खिलौने से अभिप्राय यह है कि किस तरह बच्चों को खेल-खेल मे धन संचय और धन की उपयोगिता का पाठ घर-घर मे सिखाया जाता है।
गुल्लक का प्रचलन केवल भारत मे ही नहीं अपितु अन्य देशों मे भी है –जहां इसे पिगी बैंक (Piggy Bank) कहा जाता है।
जर्मनी और नीदरलैंड जैसे कुछ यूरोपीय देशों में, सुअर अच्छे भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यहाँ पर लोगों को समृद्धि के प्रतीक के रूप में गुल्लक उपहार में देने की प्रथा है।
गुल्लक चीनी संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चीनी राशि चक्र में, सुअर धन और समृद्धि का प्रतीक है, और माना जाता है कि गुल्लक देने से प्राप्तकर्ता के लिए सौभाग्य और एशवर्य आता है।
यानी लोगों को पैसे बचाने के लिए प्रोत्साहित करता है गुल्लक।
गुल्लक का लगभग सभी ने अपने जीवन मे किसी न किसी रूप मे उपयोग तो किया ही होगा ।
मेरी प्यारी गुल्लक
बैंक क्या होता है, जब पता नहीं था,
गुल्लक मानो एक जरिया था, खुशियों का,
माँ ने जब दिलाई थी, पहली बार मुझे गुल्लक,
समझ नहीं आया, क्या खिलौना है यह तो,
पर माँ ने बताया, खुशियों का खजाना है यह तो,
फिर भी शंका और उत्सुकता घेरे थी, मन को,
यह मिट्टी की अटपटी आकृति, कैसे बटोरागी खुशियों को।
बचे और मिले सिक्के जब बटोरने लगा,
मानो खुशियों को जोड़ने लगा।
जाना उस अटपटे छिद्र का रहस्य तब,
सिक्के और नोटों को गुल्लक मे ले जाता था, जो।
मन दुखी हुआ जब पहली बार गुल्लक फूटी,
क्योंकि प्यारी थी मेरी बहुत वो तो ।
पर देख कर पैसों की ढेरी,
मन मे खुशियों की लहर वो दौड़ी।
मन तरह-तरह के सपने पिरोने लगा,
पर देखकर गुल्लक की दशा मन रोने लगा ।
तब माँ ने बताया,
यह मिट्टी मे मिलकर फिर से लौट आएगी,
हम फिर लाएंगे इसको, जोड़ेगे खुशियों को।
इस प्रकार गुल्लक से एक रिश्ता जुड़ गया
और हर साल खुशियां संचय करने का फरिश्ता मिल गया ।
खुद टूटकर जिसने, खुशियों को लूटा दिया।
गुल्लक ने हमको जिंदगी का पाठ पढ़ा दिया ।
कृति -अनिल पाठक
गुल्लक ने मात्र हमे धन संचित करना ही नहीं बल्कि अपने आपको दूसरों की खातिर समर्पित करना भी सिखाया।
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