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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

WOMEN'S DAY
Image by Markéta Machová from Pixabay 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  ८ मार्च  (8 March) को  पूरे  विश्व  में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे आर्थिक, सामाजिक,व्यापारिक और राजनितिक में सक्रीय भूमिका और  उपलब्धियों के उप्लक्ष में एक उत्सव  के तौर पर मनाया जाता है। 

महिला दिवस  के इस अवसर पर मै आपको नारी की कुछ विशेष क्षमताओं  से परिचय कराना चाहूँगा। आज ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे आज की नारी करने में असमर्थ हो। यद्यपि एक पुरुष प्रधान समाज में नारी की प्रगति एक आसान कार्य नहीं था और समाज और संस्कृति की अच्छी-बुरी  श्रंखलाओं में  जकड़ी  नारी ने अपनी हिम्मत और अथक प्रयास से उस सोच को बदलने में कुछ सफलता पायी है।आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमें महिलाओं  की भागीदारी न हो। महिलाएँ लगभग सभी क्षेत्र में अग्रणी हैं। चाहे वो क्षेत्र शिक्षा, व्यवसाय, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, बैंक  और सुरक्षा का ही क्यों न हो,नारी सभी क्षेत्रों में अपने अथक प्रयास से निरंतर आगे बढ़  रही हैं।

नारी  का पौराणिक महत्त्व

भगवान शिव का अर्द्धनारीश्वर रूप वास्तव में समानता का परिचायक है।यह रूप हमें  यह बताता है कि पुरुष और नारी एक-दूसरे के पूरक है। एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती। इतनी सुन्दर और भव्य सृष्टि की रचना में इन दोनों तत्वो का महत्वपूर्ण योगदान है।

पुरुष और नारी की समानता को सिद्ध करने हेतु परमेश्वर ने स्वयं अर्द्धनारीश्वर रूप  धारण किया।

हिन्दू धर्म ग्रंथों  में नारी को शक्ति स्वरूपा कहा गया है और देवीय रूप में उसके विभिन्न रूपों की पूजा भी की जाती है। परन्तु  फिर भी सामाजिक दृष्टिकोण से वह जीवन के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों  से उपेक्षित है। समाज में  शिक्षा, रोजगार और उचित सम्मान की वो भी उतनी ही हकदार है जितने की पुरुष वर्ग ।

नारी का  वर्तमान स्वरुप

माननीय कवि रणदीप चौधरी ‘भरतपुरिया’ द्वारा  रचित "आधुनिक नारी"  कविता  से  कुछ  पंक्तियाँ   नारी  की  वर्तमान  स्थिति  को  उजागर  करती है  -

पुरुष प्रधान जगत में
मैंनेअपना लोहा मनवाया
जो काम मर्द करते आये,
हर काम वो करके दिखलाया,
मै आज स्वर्णिम अतीत सदृश
फिर से पुरुषों पर भारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ

नारी के अदम्य  साहस और विश्वास की कुछ भूत और वर्तमान की घटनायें आप सभी के साथ साझा  कर  रहा हूँ , जो बहुत ही प्रेणनादायक है।

एक  माँ   के अटूट विश्वास और  प्रयास की कहानी

हाल ही में मैंने एक महान वैज्ञानिक के जीवन की एक घटना पढ़ी। यह  घटना  उनके स्कूल के समय की है, जब उनके अध्यापक ने उनकी प्रतिभा के विषय में एक पत्र, उन्हें उनकी माता को देने को कहा था। वह बालक  पत्र अपनी माता को जाकर देता है। उसकी माता उस पत्र को पढ़ती है, तो वह बालक अपनी माँ  से  पूछता है कि माँ  पत्र में क्या लिखा है। उनकी माता बताती है कि पत्र में लिखा है कि आपका बेटा बहुत ही प्रतिभावान है और हमारा स्कूल आपके प्रतिभावान पुत्र को पढ़ा पाने में असमर्थ है। इसलिए  उसकी शिक्षा की व्यवस्था आप स्वयं करें।  उस  माँ  ने  पत्र  में लिखे  सच  को  उससे छुपा कर, उसकी शिक्षा की जिम्मेदारी स्वयं ली और  वह  बालक आगे चलकर  एक महानतम  वैज्ञानकि (Scientist) थॉमस एल्वा एडिसन बना। 

जब  वर्षो बाद  उस थॉमस एल्वा एडिसन को अपने टीचर का वह पत्र मिला तो वह अपनी अश्रुधारा को  रोक नहीं पाया , क्योंकि उस पत्र में लिखा था कि आपका पुत्र हमारे स्कूल में पढ़ने योग्य नहीं है, अतः उसकी शिक्षा की व्यवस्था आप स्वयं करें। 

यह किस्सा हमें उस माँ के अडिग विश्वास को दर्शाता  है जिसने अपने बेटे की प्रतिभा को ऐसे निखारा की वह एक महान वैज्ञानिक बना।

इस घटना  का वर्णन मैंने नारी शक्ति की उस अद्भुत प्रतिभा को  आप के सम्मुख  प्रस्तुत  करने के लिए किया है।

उस  माँ  को  शत-शत  प्रणाम -- जिसने  अपने  पुत्र  की  प्रतिभा  को  निखार,  विश्व  को  एक  महानतम  वैज्ञानिक  (Scientist) दिया।


मातृ देवो भवः। 

अर्थ : माता देवताओं से भी बढ़कर होती है।

नारी के अद्भुत सहास और संघर्ष की वास्तविक घटना

दूसरी घटना  एक ऐसी नारी  की  है जिसने अपना एक पैर खो देने पर भी अपनी जिंदगी से हार नहीं मानी और विश्व के उच्चतम शिखरों  (माउंट  एवेरेस्ट, अफ्रीका  के किलिमंजरो  और  यूरोप  की  एल्ब्रुस चोटी ) पर चढ़ने में विजय पायी। यह किस्सा है, उस लड़की का जिसे कुछ असामजिक तत्वों ने चलती ट्रेन से नीचे  फेंक  दिया था जिसकी वजह से उसे अपने एक पैर  को खोना पड़ा। परन्तु जिंदगी के इस मुश्किल दौर में  उस नारी ने हार नहीं मानी और अपने अडिग विश्वास, अथक प्रयास और जीवन में कुछ करने की  इच्छा  से अत्यंत कठिनतम लक्ष्य को प्राप्त किया। उस  नारी का नाम है अरुणिमा सिन्हा, जिसने अपने नाम को सार्थक करते हुऐ अपने देश भारत का नाम भी गौरान्वित किया।


शत -शत  नमन  है  भारत  की  उस  बेटी  (अरुणिमा सिन्हा) को  जिसके  अदम्य  साहस  के  आगे   ऊंचे -ऊंचे  शिखर  भी  बौने  प्रतीत  होते  हैं।


(यहाँ पर मैं  माननीय कवि रणदीप चौधरी ‘भरतपुरिया द्वारा  लिखित कविता  "आधुनिक  नारी "  से  कुछ  पंक्तियाँ   प्रस्तुत  करता  हूँ ,  जिसमे  नारी  की  क्षमता  का  बहुत  ही  सुंदर  वर्णन  किया  गया  है। )

मैं सीमा से हिमालय तक हूँ,
और खेल मैदानों तक हूँ
मै माता,बहन और पुत्री हूँ
मैं लेखक और कवयित्री हूँ
अपने भुजबल से जीती हूँ
बिजनेस लेडी, व्यापारी हूँ
मैं आधुनिक नारी  हूँ


आधुनिक नारी जीवन के सभी क्षेत्रों में निरंतर प्रयास से दिनोदिन नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। परन्तु  इस यात्रा में उसे समाज का साथ चाहिए, परुषों  के बराबर सामान और अपनी  पहचान चाहिए।  हर मनुष्य का यह  कर्तव्य है कि वह अपने जीवन में नारी के महत्व और योगदान को  समझे  और  उनका  सामान  करे , चाहें  वो नारी उसकी माँ, बहन ,पत्नी, पुत्री, भार्या  और सखा ही क्यों न हो। 

संस्कृत का एक श्लोक है -

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवताः।
यत्र तास्तु न पूज्यंते तत्र सर्वाफलक्रियाः॥

अर्थ : जहाँ नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं, जहाँ इनकी पूजा नहीं होती है, वहां सब कुछ व्यर्थ है। 

नारी समाज की कुशल वास्तुकार है।
Woman is a skilled architect of society.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  के इस अवसर पर मेरी शुभकामनायें  की  
महिलायें  जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों  के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़े और निरंतर नए मुकाम हासिल करें।  

🌼🙏🌼

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