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निमंत्रण और सत्कार

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निमंत्रण एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को सहर्ष स्वयं और सम्पूर्ण परिवार के साथ किसी विशेष कार्यक्रम मे संमलित होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसे न्योता व बुलावा आदि नामों से भी जाना जाता है। मनुष्य के सामाजिक होने का यह एक बहुत बड़ा सबूत है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और निमंत्रण एक ऐसी व्यवस्था है जो उसे समाज से जोड़ती है। निमंत्रण विवाह और जन्मोत्सव आदि विशेष अवसर पर दिया जाता है, जिसमे आमंत्रित जनों का मान –सम्मान सर्वप्रिय होता है।  जैसा कि  पहले बताया निमंत्रण को एक अन्य नाम न्यौता के रूप मे भी जाना जाता है जो ग्रामीण क्षेत्रों मे अधिक प्रचलित हैं।  निमंत्रण और आमंत्रण मे अंतर  निमंत्रण का एक अन्य रूप आमंत्रण है। निमंत्रण और आमंत्रण को प्राय: एक ही रूप मे लिया जाता है परंतु इस दोनों मे बहुत फर्क है। मसलन निमंत्रण सब आम और खास को दिया जाता है परंतु आमंत्रण कुछ खास को ही दिया जाता है। आमंत्रण से तात्पर्य आदरपूर्वक आग्रह करना और बुलाना होता है । पहले निमंत्रण आमंत्रण का ही रूप था आदरपूर्वक न्योता देना और प्रेम भाव से आमंत्रित अतिथि का स्

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नव वर्ष उत्सव

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भारतीय नववर्ष उत्सव  अंग्रेजी महीने के हिसाब से चाहे नया साल १ जनवरी को मनाया जाता है । परंतु भारत मे  अलग-अलग राज्य मे नववर्ष की शुरुआत अलग-अलग समय पर होती है। वैसे तो दैनिक कार्यक्रम प्रायः अग्रेजी महीनों के आधार पर ही चलते हैं, परंतु धार्मिक पर्व, अनुष्ठानों और विवाह महूर्त आदि के लिए इनका बहुत अधिक महत्व है जो हमारी संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है। दुनियाभर मे जहां नववर्ष केवल एक समय में ही मनाया जाता है, वही भारतवर्ष मे नववर्ष अलग-अलग समय पर अलग-अलग नामों से मनाया जाता है –  चलिए जानते हैं विभिन्न प्रकार से मनाये जाने वाले नववर्ष उत्सव के विषय में।  भारत मे नववर्ष की गणना दो आधार पर होती हैं – पहली सूर्य पंचांग और दूसरी चंद्र पंचांग के द्वारा । पंचांग कैलंडर को कहते हैं – जिसमे दिन, तारीख, महीनों और पर्वों का विवरण छपा होता है। भारतवर्ष मे कुछ जगह पर सूर्य पंचांग के आधार पर नववर्ष मनाया जाता हैं जबकि कुछ जगह पर चंद्र पंचांग के आधार पर ।  भारत मे विभिन्न धर्म, संप्रदाय और भाषा के लोग रहते हैं, जो अपनी धर्म और संस्कृति के आधार पर नववर्ष मानते हैं ।  विक्रम संवत: हिन्दू धर्मानुसार नववर्ष

गाय की आत्मकथा | Autobiography of cow

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Photo by  Juliana Amorim  on  Unsplash मेरा यह लेख मेरे दिल के बहुत करीब पशु गाय के विषय मे हैं। हिन्दू धर्म मे गाय की महत्ता मात्र एक पशु नहीं अपितु एक ईश्वरीय स्वरूप की है, जो अपने दुग्ध से हमारा पौषण करती है। गाय को धेनु, कामधेनु आदि नामों से भी जाना जाता है ।  गाय की आत्मकथा एक मार्मिक विषय है। ३३ करोड़ देवी देवताओ को अपने अंदर समाहित करने वाली गाय आज अपने ही उद्धार के लिए तरसती प्रतीत होती है । समुन्द्र मंथन के समय देवीय रूप से अवतरित गाय जिसे वो सम्मान प्राप्त था जो एक देवी देवता को प्राप्त होता है, मानव के लोभवश आज जीवन का एक कटु सत्य झेल रही है। चलिए शुरू करते है- गाय की आत्मकथा - मैं गाय हूँ । मैं भारतवर्ष मे पाया जाने वाला एक देवीय पशु कहलाती हूँ । लोग मुझे गौ माँ व माता के रूप मे भी पूजते है। मैं एक दुधारू पशु हूँ ।  मेरा वर्तमान चाहे कठोर और विदारक है परंतु मेरा भूत बहुत ही वैभवशाली रहा है ।  मेरा वैभवशाली इतिहास  समुन्द्र मंथन से प्राप्त मैं कामधेनु कहलाई। मैं भी समुन्द्र से प्राप्त चौदह रत्नों मे से एक थी। ऋषियों द्वारा मेरा देवतुल्य सत्कार किया जाता था और मैं अपने पंचगव्य

रावण | RAVAN

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रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त और उपासक था । उसने भगवान शिव को प्रसन्न कर  अनेकों शक्तियाँ प्राप्त की । भगवान शिव के परम भक्तों मे उसका स्थान सर्वश्रेष्ट है। वह भगवान शिव का ऐसा भक्त था, जिसने भगवान शिव के द्वारा दिए हुए नाम “रावण” को अंगीकार किया ।  दशानन को रावण क्यों कहते हैं ?   रावण को उसका यह नाम अहंकारवश  कैलाश पर्वत को अपने बाहुबल से उठाने के परिणामस्वरूप प्राप्त हुआ था, जब भगवान शिव ने अपने अंगूठे के भार से रावण की भुजा को कैलाश पर्वत के नीचे दबा दिया और उसके अहंकार को चूर-चूर किया । परंतु इस घोर विपत्ति और पीड़ा की स्थिति मे भी उसने भगवान शिव की तांडव स्तुति की रचना कर डाली । उसकी इस स्तुति से पूरा ब्रह्मांड गुंजायमान हो गया जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने प्रकट होकर उसे “रावण” नाम दिया था। परम ज्ञानी रावण  रावण 4 वेदों, 6 शास्त्रों और 10  दिशाओं का  निपुण ज्ञाता था उसकी गिनती बहुत बड़े ज्ञानियों मे की जाती है । इसका अलावा वह एक अच्छा राजनितज्ञ, प्रकाण्ड पंडित,  निपुण संगीतज्ञ और रचनाकार था ।  उसने बहुत से ग्रंथों और भगवान शिव की स्तुति की रचना की । उसने एक वाद्य यंत्र की रचना भी

जन्माष्टमी

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जन्माष्टमी हिंदुओं का पवित्र त्योहार हैं। यह भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप मे मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती, अष्टमी रोहिणी और श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है । जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?  हर साल भाद्र मास की अष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के तौर पर इस त्योहार को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र मे हुआ था। जिसे जयंती योग कहते है। इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। अंग्रेजी कैलंडर के हिसाब से जन्माष्टमी हर साल अगस्त ओर सितंबर माह मे मनाई जाती है। पौराणिक कथा  इस त्योहार को मनाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। भगवान कृष्ण को विष्णु जी का आठवाँ अवतार कहा जाता है। जन्माष्टमी के दिन धरती पर भगवान के इस आठवे अवतार का अवतरण हुआ था। कथा इस प्रकार है – मथुरा का राजा कंस बहुत ही अत्याचारी था। उसने अपने घमंड व स्वार्थ के चलते सभी पर अत्याचार करने शुरू कर दिए थे। परंतु एक दिन एक आकाशवाणी ने उसको भयभीत कर दिया, जिस मे उसकी मौत का कारण उसकी लाड़ली बहन की आठवीं संता

ओलिम्पिक खेलों की जानकारी

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ओलिम्पिक खेल  "ओलिम्पिक को अगर खेलों का उत्सव कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । हर चार साल मे होने वाले इन खेलों का आयोजन खेल प्रेमियों के लिए बेहद उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक है ।" हर खिलाड़ी की तमन्ना होती की वह इस प्रतियोगिता मे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले । जहां 1996 के पहले ओलिम्पिक मे मात्र 14 देशों ने भाग लिया था वही टोक्यो ओलिम्पिक मे यह संख्या बढ़कर 206 हो गए है ।  ओलम्पिक खेलों में सबसे महत्वपूर्ण चीज जीतना नहीं बल्कि भाग लेना है।  ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत मात्र 9 खेलों से की गई थी जो अब बढ़कर 28 हो गई है । टोक्यो में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों 2020  में कुल 33 खेल होंगे, जिसका अर्थ है कि रियो 2016 के पिछले ओलिम्पिक की तुलना में 5 और खेल का आयोजन होगा । इस बार ओलिम्पिक मे पाँच नए खेलों को जोड़ा जा रहा है । जो इस प्रकार हैं – 1- सर्फिंग –  2-सपोर्ट क्लाइमिंग  3- स्कैट बोर्ड  4-कराटे  5- बैस्बॉल / सॉफ्ट बॉल  आधुनिक ओलिम्पिक की शुरुआत किसने की ?  आधुनिक ओलिम्पिक की शुरुआत का श्रेय Pierre De Courbetin को जाता है। उन्होंने प्रारंभिक ग्रीक खेलों की भावना को फिर से जगाने के लिए,ओलिम्पिक खेलों