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जन्माष्टमी

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जन्माष्टमी हिंदुओं का पवित्र त्योहार हैं। यह भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप मे मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती, अष्टमी रोहिणी और श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है । जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?  हर साल भाद्र मास की अष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के तौर पर इस त्योहार को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र मे हुआ था। जिसे जयंती योग कहते है। इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। अंग्रेजी कैलंडर के हिसाब से जन्माष्टमी हर साल अगस्त ओर सितंबर माह मे मनाई जाती है। पौराणिक कथा  इस त्योहार को मनाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। भगवान कृष्ण को विष्णु जी का आठवाँ अवतार कहा जाता है। जन्माष्टमी के दिन धरती पर भगवान के इस आठवे अवतार का अवतरण हुआ था। कथा इस प्रकार है – मथुरा का राजा कंस बहुत ही अत्याचारी था। उसने अपने घमंड व स्वार्थ के चलते सभी पर अत्याचार करने शुरू कर दिए थे। परंतु एक दिन एक आकाशवाणी ने उसको भयभीत कर दिया, जिस मे उसकी मौत का कारण उसकी लाड़ली बहन की आठवीं संता

ओलिम्पिक खेलों की जानकारी

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ओलिम्पिक खेल  "ओलिम्पिक को अगर खेलों का उत्सव कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । हर चार साल मे होने वाले इन खेलों का आयोजन खेल प्रेमियों के लिए बेहद उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक है ।" हर खिलाड़ी की तमन्ना होती की वह इस प्रतियोगिता मे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले । जहां 1996 के पहले ओलिम्पिक मे मात्र 14 देशों ने भाग लिया था वही टोक्यो ओलिम्पिक मे यह संख्या बढ़कर 206 हो गए है ।  ओलम्पिक खेलों में सबसे महत्वपूर्ण चीज जीतना नहीं बल्कि भाग लेना है।  ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत मात्र 9 खेलों से की गई थी जो अब बढ़कर 28 हो गई है । टोक्यो में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों 2020  में कुल 33 खेल होंगे, जिसका अर्थ है कि रियो 2016 के पिछले ओलिम्पिक की तुलना में 5 और खेल का आयोजन होगा । इस बार ओलिम्पिक मे पाँच नए खेलों को जोड़ा जा रहा है । जो इस प्रकार हैं – 1- सर्फिंग –  2-सपोर्ट क्लाइमिंग  3- स्कैट बोर्ड  4-कराटे  5- बैस्बॉल / सॉफ्ट बॉल  आधुनिक ओलिम्पिक की शुरुआत किसने की ?  आधुनिक ओलिम्पिक की शुरुआत का श्रेय Pierre De Courbetin को जाता है। उन्होंने प्रारंभिक ग्रीक खेलों की भावना को फिर से जगाने के लिए,ओलिम्पिक खेलों

मास्क की कहानी

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  मास्क  मास्क की कहानी  एक दिन अचानक स्वपन मे रात को दरवाजे पर खटखटाने कि आवाज हुई। मैंने उठकर दरवाजा खोला तो देखा कि एक आयताकारनुमा कपड़े का टुकड़ा, जिसके दो खोखले कान थे, दरवाजे पर खड़ा था । मैंने पूछा कौन है? उधर से आवाज आयी आपका साथी ! मेरा नाम मास्क है।  मैंने कहा, मैं तो आपको थोड़ा बहुत ही जानता  हूँ और ऐसा नहीं है कि आपके बिना मेरा काम नहीं चलेगा । इतना सुनते ही वो बोला; बंधु अभी तक आप मुझे कुछ विशेष परिस्थितियों मे ही उपयोग में लाते थे, और मैं भी कुछ सीमित जगह पर ही उपलब्ध होता था। परंतु आज से मैं आपके वॉर्ड्रोब का एक सक्रिय सदस्य बनने जा रहा हूँ । इतना बोलते ही, वो उछलकर मेरे  वॉर्ड्रोब मे जाकर बैठ गया। फिर क्या था, वो लगा अपनी कहानी बताने। उसने कहा कि वैसे तो वह किसी परिचय का मोहताज नहीं, क्योंकि लगभग सभी लोग उसको जानते है । परंतु बहुत कम लोग ही उसका सही तरीके से इस्तमाल करते हैं। वैसे तो मैं अस्पताल मे और प्रशिक्षण शालाओं मे ही रहता था, परंतु पलूशन के चलते कुछ लोग मुझे सड़कों तक ले आये और मैनें अपनी कार्यकुशलता से उनकी रक्षा भी की । परंतु इस वायरस के कारण अब मैं हर किसी के घर मे

अदृश्य दानव -कोरोना वायरस

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अदृश्य दानव -कोरोना वायरस  Invisible Devil -Corona Virus  पूरा विश्व आज एक अज़ीबोगरीब परिस्थिति से गुजर रहा है। हर कोई परेशान  है, चारो तरफ भय और मौत का वातावरण व्यापत है। छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब हर कोई इस भयावह स्थिति से सहमा हुआ है। चीन देश के वुहान शहर से निकला यह  " कोरोना वायरस"  [Corona Virus] एक अदृश्य  दानव की भांति पूरी दुनिया को निगल रहा है।  काल्पनिक और  पौराणिक  कहानियों  में  उल्लेख  यह  समय मुझे मेरी दादी माँ  के दवारा सुनाई गयी काल्पनिक कहानियों  की तरफ़ ले जाता है , जिसमे एक राक्षस  पृथ्वी  पर  हर तरह का अत्याचार करके लोगों  को प्रताड़ित करता है।  उसके आतंक से प्रताड़ित होकर सब  लोग भय की  अवस्था में अपने जीवन को व्यतीत करने के लिए मजबूर होते है। आखिर में  कोई महापुरुष आकर उस राक्षस से सभी के प्राणों की रक्षा करता है।  हमारी  पौराणिक  कथाओं  में भी  इसी प्रकार  के कई  राक्षसों का वर्णन मिलता है  जिसमें  अंततः  भगवान  ने स्वयं  अवतार  लेकर  मानव जाति  की रक्षा की।    मानव का पिंजरे के पंछी की तरह का जीवन  इस तरह की स्थिति की कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी, जब महीनो

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) Image by  Markéta Machová  from  Pixabay   अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  ८ मार्च  (8 March)  को  पूरे  विश्व  में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे आर्थिक, सामाजिक,व्यापारिक और राजनितिक में सक्रीय भूमिका और  उपलब्धियों के उप्लक्ष में एक उत्सव  के तौर पर मनाया जाता है।  महिला दिवस  के इस अवसर पर मै आपको नारी की कुछ विशेष क्षमताओं  से परिचय कराना चाहूँगा। आज ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे आज की नारी करने में असमर्थ हो। यद्यपि एक पुरुष प्रधान समाज में नारी की प्रगति एक आसान कार्य नहीं था और समाज और संस्कृति की अच्छी-बुरी  श्रंखलाओं में  जकड़ी  नारी ने अपनी हिम्मत और अथक प्रयास से उस सोच को बदलने में कुछ सफलता पायी है।आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमें महिलाओं  की भागीदारी न हो। महिलाएँ लगभग सभी क्षेत्र में अग्रणी हैं। चाहे वो क्षेत्र शिक्षा, व्यवसाय, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, बैंक  और सुरक्षा का ही क्यों न हो,नारी सभी क्षेत्रों में अपने अथक प्रयास से निरंतर आगे बढ़  रही हैं। नारी  का पौराणिक महत्त्व भगवान शिव का अ

🕉 महाशिवरात्रि पर्व 🕉

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  ॐ नीलकण्ठाय नमः   🕉 महाशिवरात्रि पर्व  🕉 Image by  Nikhil Mishra  from  Pixabay   महाशिवरात्रि का पर्व माता पार्वती और देवादि देव महादेव के विवाह उत्सव का प्रतीक है। इस पर्व के विषय में बताने से पहले हमें परमात्मा शिव के बारे में जानने की  आवश्यकता है।  शिव कौन है ? सत्यम शिवम् सुंदरम "सत्यम-शिवम-सुंदरम" से तात्पर्य "सत्य-ईश्वर-सौंदर्य " से है। शिव का अर्थ -कल्याणकारी,ज्योतिस्वरूप परमपिता से है, क्योंकि शिव समस्त सृष्टि के पालनहार हैं, इसलिए वह कल्याणकारी है। जीवन परमपिता परमात्मा का दिया हुआ,अमूल्य उपहार है। जीवन को "सत्य-चेतना-आनंद" के रूप में अनुभव किया जाता है। सृष्टि पर जनम-मरण एक मात्रा सत्य है, शिव ही सबके पालनहार है, उनकी रचित यह रचना अति मनोहर है। हो निर्विकार तथापि तुम हो भक्तवत्सल सर्वदा। हो तुम निरीह तथापि अद्भुत सृष्टि रचते हो सदा। (हे ईश्वर आप विकार हीन होते हुए भी भक्तो से स्नेह करने वाले हो। इच्छा एवं तृष्णा रहित होते हुये भी आपने इस अद्भुत सृष्टि की रचना की। ) जिस प्रकार बीज से किसी वृक्ष की उत्पत्ति होती है उसी प्रकार परमात्मा